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दया और सेवा भाव जीवन में बहुत आवश्यक

जालौन 15 नवंबर। मनुष्य कितना ही धन और ज्ञान अर्जित कर ले, उसकी अध्यात्मिक उन्नति दया और सेवाभाव के बिना संभव नहीं है। यह बात श्री मद्भगद्गुरु द्वाचार्य अग्रिपीठाधीश्वर एवं मलूकपीठाधीश्वर स्वामी श्री राजेंद्र दास देवाचार्य जी महाराज, श्री रेवासा धाम. श्री वृन्दावन धाम ने औरइया मार्ग पर बने मानस मंदिर रिसोर्ट के शुभारंभ के मौके पर कही।

मलूकपीठाधीश्वर स्वामी श्री राजेंद्र दास देवाचार्य जी महाराज जी ने कहा कि दया एवं सेवा भाव सत्संग से आता है। सत्संग हमें सत्य एवं धर्म के मार्ग पर ले जाता है। कुसंगति हमें अधर्म और पाप के मार्ग पर ले जाकर कलंकित करती है। हमें एक दूसरे की मदद करनी चाहिए। ईष्र्या और अहंकार हमें पतन की ओर ले जाता है। इसलिए अहंकार, ईष्र्या, कुसंगति को त्यागकर सत्य एवं धर्म का मार्ग अपनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि स्वामी नेतानन्द महाराज ने अपने ग्रंथ में यह स्पष्ट लिखा है कि मांसाहारी व्यक्ति परिवार सहित नरक को जाता है और जीव हत्या करने वाला कभी भी पाप से मुक्त नहीं हो सकता। इसलिए शाकाहार अपनाएं।उन्होंने कहा कि नर सेवा ही नारायण सेवा है। मानव सेवा सबसे बड़ा पुण्य का काम है। देश के महान संतों ने आध्यात्मिक ज्ञान, धर्म, विश्व शांति और मानव कल्याण की अलख जगाई है
उन्होने कहा कि भगवान श्री राम के जीवन से प्रेरणा लेकर धर्म, सत्य, प्रेम, और करुणा का पालन करने पर जोर दिया तथा कहा कि वेद, पुराण, उपनिषद, श्रीमद्भगवद्गीता और रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन करें और इनके माध्यम से लोगों को धर्म का सार समझे ।इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री भानुप्रताप वर्मा, सदर विधायक गौरीशंकर वर्मा, कालपी विनोद चतुर्वेदी, माधौगढ़ मूलचन्द्र निरंजन, भाजपा जिलाध्यक्ष उर्विजा दीक्षित, संतराम सिहं सेंगर, पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि पुनीत मित्तल, सीमा सुनीत मिश्रा, मिथलेश महाराज हरीपुरा, भगवती प्रसाद मिश्रा, विनय, दिलीप आशीष, बऊआ, विकास समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। नीरज श्रीवास्तव पत्रकार बोहदपुरा

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