जालौन 1अक्टूबर । रामलीला महोत्सव में लक्ष्मणशक्ति व कालनेम की माया का मंचन किया गया। जिसमें हनुमान-मेघनाद संवाद, लक्ष्मण मेघनाद संवाद के अलावा कालनेम की माया का दृश्य विशेष आकर्षण युक्त रहा।लक्ष्मण शक्ति की लीला को लेकर दर्शकों अच्छा उत्साह दिखा। रामलीला महोत्सव का मंचन नगर के गोविंदेश्वर मंदिर के पास किया जा रहा है। जिसमें लक्ष्मण शक्ति, कालनेम की माया, भरत-हनुमान संवाद, मेघनाद हनुमान संवाद के अलावा लक्ष्मण व हनुमान संवाद विशेष सराहनीय रहे। मंचन के प्रथम दृश्य में श्रीराम द्वारा लंका पर आक्रमण किए जाने की योजना बनाई गई। सभी वानरों ने लंका को चारों ओर से घेर लिया तभी रावण की आज्ञानुसार मेघनाद युद्ध करने के लिए आया। सर्वप्रथम उसकी मुलाकात हनुमान जी से होती है जहाँ दोनों के बीच जमकर संवाद होता है। बाद में लक्ष्मण के आने के बाद मेघनाद व लक्ष्मण संवाद प्रारंभ हो जाता है। दोनों के संवादों का बैठे दर्शकों ने आनंद लिया तथा तालियाँ बजाकर कलाकारों का उत्साहवर्धन भी किया। अंत में मेघनाद, लक्ष्मण पर ब्रहमास्त्र का प्रयोग करता है। जिसके फलस्वरूप लक्ष्मण मूर्छित होकर जमीन पर गिर जाते हैं। हनुमान जी उन्हें वहाँ से उठाकर रामदल में ले आते हैं। जहाँ प्रभु राम लक्ष्मणजी की हालत को देखकर बिलख-बिलख कर रो पड़ते हैं। रामजी का विलाप सुनकर दर्शक भी अपने आँसू नहीं रोक सके। इसी बीच जामवंत द्वारा लंका से सुखेन वैद्य को लाने की बात कही जाती है। जिस पर हनुमानजी लंका जाकर सुखेन वैद्य को ले आते हैं। सुखेन वैद्य संजीवनी बूटी द्वारा ही लक्ष्मणजी के उपचार करने की युक्ति बताने के साथ ही कहते हैं यदि सूर्यादय से पूर्व संजीवनी बूटी नहीं आई तो लक्ष्मणजी के प्राण बचाना असंभव होगा। उसी समय तत्काल हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए चले जाते हैं। रास्ते में कालनेम नामक अपनी तमाम माया फैलाकर राक्षस हनुमान जी का रास्ता रोकने का प्रयास करता है। वहीं कालनेम स्वयं एक साधु का रूप धारण कर हनुमान जी से गुरूमंत्र लिए जाने को कहता है। तभी तालाब में स्नान करने गए हनुमानजी को एक मछली कालनेम की माया के बारे में बता देती है। तब हनुमान जी कालनेम की माया को समाप्त करते हैं। और सुखेन वैद्य द्वारा बताए गए पर्वत पर संजीवनी बूटी लाने के लिए पहुंचते हैं। परंतु जब वह पर्वत पर विविध प्रकार की बूटियों में संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पाते हैं तो वह पूरा पर्वत लेकर रामदल की ओर चल देते हैं। वहीं बीच में जब हनुमान जी पर्वत लेकर अयोध्या के ऊपर से गुजरते हैं तो भरत ने उन्हें कोई राक्षस समझकर एक ही वाण से घायलकर जमीन पर गिरा दिया। अंत में हनुमान जी भरत को पूरी कथा बताकर रामदल पहुंचते हैं। जहां सुखेन वैद्य संजीवनी बूटी से लक्ष्मण का उपचार करते हैं। राम की सुंदर भूमिका में मनोज तिवारी , लक्ष्मण शीपू पारासर , हनुमान जी रमेश दुबे, कालनेम की प्रयाग गुरु, सुग्रीव श्याम जादौन , रावण उमेश दुबे, सुषैन वैद्य बृजेश शर्मा, भरत की बृजेश शर्मा, मेघनाथ भानू शर्मा ने भूमिका निभाई। लीला का संचालन पवन चतुर्वेदी व राजकुमार मिझौना ने किया । नीरज श्रीवास्तव पत्रकार बोहदपुरा
फोटो परिचय रामलीला मंचन