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रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक बनकर परंपरानुसार हर्षोल्लास से मनाया गया।

जालोंन। 
रक्षा बंधन का पावन पर्व इस वर्ष भी पूरे देश में पारंपरिक उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के वचन का प्रतीक माना जाता है। बहनों ने इस अवसर पर अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधा और उनकी लंबी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना की। वहीं भाइयों ने अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन दोहराया और उपहार भेंट किए।
सुबह से ही बाज़ारों में राखियों, मिठाइयों और उपहारों की खरीददारी के लिए भीड़ देखी गई। बहनों ने सजी-धजी थालियों में राखी, रोली, चावल और मिठाइयों के साथ भाइयों को तिलक कर राखी बाँधी। कई परिवारों में पारंपरिक पकवान भी बनाए गए और पूरा दिन उल्लासपूर्ण माहौल में बीता।
बड़ी संख्या में महिलाएं दूरदराज़ से अपने भाइयों के घर पहुँचीं, वहीं जो भाई-बहन एक ही शहर में नहीं रह पाए, उन्होंने ऑनलाइन माध्यम से एक-दूसरे को शुभकामनाएँ दीं और वर्चुअल राखी मनाई। डाक विभाग और कुरियर सेवाओं के माध्यम से हजारों राखियाँ समय पर भेजी गईं, जिससे दूर रहने वाले भाई-बहन भी पर्व का आनंद ले सके।
इस बार कई सामाजिक संगठनों ने सैनिकों, पुलिसकर्मियों और समाजसेवियों को राखी बांधकर उनका सम्मान भी किया। इससे यह पर्व केवल पारिवारिक नहीं बल्कि सामाजिक एकता और सम्मान का प्रतीक भी बन गया।
रक्षा बंधन ने एक बार फिर यह साबित किया कि भारतीय संस्कृति में पारिवारिक मूल्यों, परंपराओं और रिश्तों की डोर कितनी मजबूत है।

जालोंन से नीरज श्रीवास्तव

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