जालौन 23 नवंबर । बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है, उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया गया है। यह बात नगर के एकमात्र सरस्वती मंदिर पर आयोजित साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन भागवताचार्य हरगोविंद बाजपेई ने कही। कोतवाली रोड स्थित नगर के एकमात्र सरस्वती मंदिर पर आयोजित साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान के तीसरे दिन भागवताचार्य हरगोविंद बाजपेई ने श्रोताओं को बताया कि राजा उत्तानपाद के वंश में ध्रुव हुए हैं। ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया। जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए। क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। इस मौके पर इस मौके पर परीक्षित विमला, डॉ. भगवत नारायण शुक्ला, पुजारी हृदेशनारायण मिश्रा, सुनील श्रीवास्तव, डॉ. देववर्धन दौंदेरिया, डॉ. पुष्पांजलि, डॉ. देवेश उपाध्याय, आराधना, देवसिंह कुशवाहा, शिवकुमार निरंजन, महावीर गौर, अनिल तिवारी, मुन्ना सेंगर, निखिल गुप्ता, रिंकू गुप्ता, बाबूजी गुर्जर, अरविंद मिश्रा, अवधेश, रमा, गुड्डी विमला ने कथा श्रवण किया। नीरज श्रीवास्तव पत्रकार बोहदपुरा
