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परिवार को बचाने के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है ,,,कथाव्यास

जालौन 9 नवंबर ।बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया गया है। यह बात बड़ी माता मंदिर परिसर में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन भागवताचार्य पं. अनुराग चंसौलिया ने उपस्थित श्रोताओं के समक्ष कही।

द्वारिकाधीश व बडी माता मंदिर परिसर में आयोजित साप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तीसरे दिन भागवताचार्य पं. अनुराग चंसौलिया ने श्रोताओं को बताया कि राजा उत्तानपाद के वंश में ध्रुव हुए हैं। ध्रुव की सौतेली मां सुरुचि के द्वारा अपमानित होने पर भी उसकी मां सुनीति ने धैर्य नहीं खोया। जिससे एक बहुत बड़ा संकट टल गया। परिवार को बचाए रखने के लिए धैर्य संयम की नितांत आवश्यकता रहती है। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा को सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए। क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है उसे जैसा चाहे वैसा पात्र बनाया जा सकता है। पाप के बाद कोई व्यक्ति नरकगामी हो, इसके लिए श्रीमद् भागवत में श्रेष्ठ उपाय प्रायश्चित बताया है। बताया कि भगवान नृसिंह रुप में लोहे के खंभे को फाड़कर प्रगट होना बताता है कि प्रह्लाद को विश्वास था कि मेरे भगवान इस लोहे के खंभे में भी है और उस विश्वास को पूर्ण करने के लिए भगवान उसी में से प्रकट हुए एवं हिरण्यकश्यप का वध कर प्रह्लाद के प्राणों की रक्षा की। इस मौके पर परीक्षित सुनीता रविन्द्र सिंह राजावत, त्रिवेणी दयाशंकर कश्यप, युवराज सिंह, सिद्धार्थ सिंह, हर्षवर्धन, अंकुर, पवन अग्रवाल, सुरेश हूका, सीताराम, ममता, अनीता, प्रवीना, अर्चना, ममता, सुशीला, जानवी, हर्षिता समेत बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे। नीरज श्रीवास्तव पत्रकार बोहदपुरा

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