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जिलाधिकारी ने अन्नदाता कृषक बंधुओं से की अपील, पराली न जलाएं, फसल अवशेष प्रबंधन का अपनाएं वैज्ञानिक तरीका

जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने एनआईसी सभागार में बैठक में समस्त एसडीएम, तहसीलदार, उप कृषि निदेशक, बीडीओ सहित संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया कि पराली जलाने की किसी भी घटना पर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि भूमि जोत के अनुसार जुर्माने की राशि निर्धारित की गई है, दो एकड़ भूमि जोत वाले किसानों पर पाँच हजार रुपये, दो से पाँच एकड़ भूमि जोत वाले किसानों पर दस हजार रुपये तथा पाँच एकड़ से अधिक भूमि जोत वाले किसानों पर तीस हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाए।
जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने जनपद के अन्नदाता कृषक बंधुओं से अपील की है कि वे पराली न जलाएं, बल्कि फसल अवशेष प्रबंधन के वैज्ञानिक तरीके अपनाएं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ता है, मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है और पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग द्वारा किसानों को पराली प्रबंधन हेतु आवश्यक उपकरण जैसे हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, रोटावेटर, स्ट्रॉ रीपर आदि रियायती दरों पर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। किसान इन यंत्रों का उपयोग कर पराली को मिट्टी में मिलाकर जैविक खाद तैयार कर सकते हैं, जिससे फसल की उत्पादन क्षमता और मिट्टी की गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होगी।
जिलाधिकारी ने राजस्व, कृषि एवं पंचायत विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ग्राम स्तर पर व्यापक जागरूकता अभियान चलाकर किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों और वैकल्पिक उपायों के बारे में जानकारी दी जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि पराली जलाने वाले किसानों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी तथा दोषी पाए जाने पर जुर्माना लगाया जाएगा। जिलाधिकारी ने कहा कि कृषक भाई हमारे अन्नदाता हैं और पर्यावरण की रक्षा में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि सभी किसान पराली न जलाने का संकल्प लें, तो हम अपने प्रदेश को प्रदूषण मुक्त बनाने में बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते हैं। नीरज श्रीवास्तव पत्रकार बोहदपुरा

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